जीएसटी क्या है? आसान भाषा में समझें |GST यानी गुड्स एंड सर्विस टैक्स। ये टैक्स तब लगता है जब हम किसी प्रोडक्ट या सर्विस को खरीदते हैं। इस तरह से जीएसटी हमारे ऊपर लगने वाला Indirect Tax है। साल 2017 में इस टैक्स को लागू किया गया। उसके पहले सेल्स टैक्स, एक्साइज टैक्स, सर्विस टैक्स जैसे कई तरह के टैक्स लिए जाते थे। अब जीएसटी में तमाम तरह के टैक्स को शामिल कर दिया गया है। इस आर्टिकल में हम GST के बारे में Hindi में बताएंगे। (गूगल सर्च में ‘जीएसटी इन हिन्दी’ भी दिख सकता है लेकिन है ये जीएसटी ही।
Add captionTax System का हिस्सा होने के कारण व्यापारी इससे जुड़ तो रहे हैं, पर इसका Funda अब भी उनके लिए बहुत आसान नहीं है। Tax के माहिर Accountants की बात जाने दीजिए, सामान्य कारोबारी और Common Man के लिए यह अब भी टेढ़ी खीर ही है। लोगों की इसी Problem को ध्यान में रखते हुए हम ये Article लेकर आए हैं।
जीएसटी क्या है| What is GST?
जीएसटी का Full Form है Goods And Services Tax । हिन्दी में हम इसे वस्तु एवं सेवा कर कहा जाता है। इसके नाम से साफ होता है कि इस टैक्स को माल और सर्विस पर लगाया जाता है। यह देश भर में वस्तुओं और सेवाओें की बिक्री पर लगने वाले GST की एक बड़ी खासियत यह है कि किसी भी एक समान पर इसका Rate पूरे देश में एक जैसा होगा। यानी देश के किसी भी कोने में मौजूद Consumer को उस वस्तु पर एक बराबर Tax चुकाना पड़ेगा।
पहले के सिस्टम में क्या थी गड़बड़ी| Demerit Of Earlier System
पुरानी व्यवस्था में टैक्सों का मकड़जाल बहुत गहरे तक फैला था। उदाहरण के लिए जैसे ही माल Factory से निकलता था, सबसे पहले उस पर लगता था उत्पाद शुल्क यानी Excise Duty । कई बार कई सामानों पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क यानी Additional Excise Duty भी लगता था। यही माल अगर एक राज्य से दूसरे राज्य में जा रहा है तो राज्य में घुसते ही Entry Tax लगना था। इसके बाद जगह-जगह चुंगियां अलग से।
जब माल बिकने की बारी आई तो Sales Tax यानी VAT की मार। कई मामलों में Purchase Tax भी लगता था। सामान अगर विलासिता से जुड़ा है तो Luxury Tax अलग से। होटलों या रेस्टोरेंट आदि में वह सामान उपलब्ध कराया जा रहा हो तो Service Tax अलग से। मतलब यह कि Consumer के हाथों में पहुंचने से पहले कोई सामान या सेवा कई स्टेजों पर कई Duties या Taxes से होकर गुजरता था। इस तरह किसी सामान या सेवा के ग्राहक के हाथों तक पहुंचने तक, कई चरणों में अलग-अलग रेट के कई टैक्स लग जाते थे।
इनकम टैक्स रेट में सभी के लिए बड़ी कटौती
जीएसटी लाने की स्थिति बनी क्यों? What Was Behind GST?
- दरअसल Indian Constitution में Indirect Taxes संबंधी जो पुराने नियम थे, उनमें वस्तुओं के उत्पादन और सेवाओं पर टैक्स लगाने का अधिकार Central Government को दिया गया है। जबकि,वस्तुओं की बिक्री पर टैक्स लगाने का अधिकार State Governments को दिया गया है।
- सबने अपने-अपने हिसाब से नियम बना डाले और श्रेणियां तय कर दीं। इसी चक्कर में एक-एक सामान पर कई-कई Tax और कभी-कभी टैक्स के उपर Tax के हालात भी बन गए। छोटे व्यापारी और कंपनियां अक्सर इन नियम कानूनों में उलझ जातीं थी।
- इन विसंगतियों को दूर करने के लिए जीएसटी को ऐसे एकीकृत कानून के रूप में लाया गया है, जो माल एवं सेवा दोनों के Production से लेकर Sale तक पर लगाया जा सके।
- Production और Sale का अलग-अलग पेंच खत्म करने के लिए जीएसटी का सिर्फ एक आधार तय कर दिया गया, Supply। इसके लिए बाकायदा Tax कानूनों में बदलाव किया गया। संसद में बाकायदा संविधान संशोधन की प्रक्रिया अपनाई गई। जिसके कारण GST कानून पारित होने में इतना लंबा समय लग गया।
जीएसटी की प्रमुख विशेषताएं | Major Features Of GST
पुराने टैक्स सिस्टम में खामियों को दूर करने के लिए जीएसटी लाया गया। इस नए टैक्स सिस्टम की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं—
1. मैन्यूफैक्चरिंग के बजाय उपभोग पर टैक्स | Tax on Consumption
GST टैक्स वस्तु और सेवा का इस्तेमाल करने वाले को देना पड़ता है। हालांकि इसकी वसूली की जिम्मेदारी सामान या service देने वाले पर होती है। मतलब ये कि दुकानदार जब कोई सामान देगा तो उसमें GST को अलग से लिखकर बताएगा। जो भी खरीदार होगा उसे जीएसटी को मिलाकर पूरा पैसा देना होगा। service tax के मामले में आपने ऐसा ही देखा होगा। मोबाइल के बिल में साफ-साफ service tax अलग से लिखा होता है।
लेकिन सर्विस टैक्स को छोड़ तमाम दूसरे मामलों में खरीदार को पता ही नहीं होता था कि किसी product में कितने tax लगे हैं। अब आपको पता है कि किसी प्रोडक्ट पर कुल कितना टैक्स लगा है। सरकार ने सबकी दरें पहले से तय कर दी है।
2. टैक्स क्रेडिट सिस्टम | Tax Credit System
किसी सामान के निर्माण से लेकर कंज्यूमर तक पहुंचने में पूरी चेन शामिल होती है। सामान कई बार खरीदा बेचा जाता है। अब GST के नियमों के मुताबिक सप्लाई चेन में हर खरीद बिक्री पर तय टैक्स देना होगा। तो क्या हर स्तर पर टैक्स लगने से चीजें बहुत महंगी हो जाएंगी? जरूर महंगी हो जातीं, अगर Tax Credit System नहीं होता। इस सिस्टम में सप्लाई चेन का हर अगला खरीदार अपने से पहले वाले विक्रेता के द्वारा दिए गए टैक्स के वापस पा जाता है।
जीएसटी सिस्टम में, आखिरी स्टेज पर टैक्स लगने से पहले जहां—जहां Tax जमा किया गया है,उसको वापस पाने की भी व्यवस्था है। अगर आप अंतिम या वास्तविक Consumer नहीं हैं और पहले के किसी Stage में आपने जीएसटी जमा किया है तो यह आपके खाते में वापस हो जाएगा। हर महीने GST रिटर्न भरने के दौरान आप Tax Credit System के माध्यम से अपना जीएसटी एडजस्ट करा सकते हैं। ये Tax Credit System क्या है, इसको अलग से हमने Example के साथ नीचे समझाया है।
3. टैक्स पर टैक्स नहीं चढ़ेगा| No Cascading Of Taxes
पहले के सिस्टम में न सिर्फ कई अलग-अलग Tax लगते थे, अक्सर टैक्स के ऊपर Tax भी लग जाते थे। क्योंकि बहुत सी वस्तुएं या सेवाएं दो या दो से अधिक तरह की Categories में आ जाते थे। अब ऐसा नहीं होगा। क्योंकि अब जीएसटी अंतिम रूप से Consumer को ही अदा करना है। बीच में अगर किसी ने Deposit किया है तो उसका पैसा टैक्स क्रेडिट सिस्टम से वापस यानी Adjust हो जाता है।
4. Complete Online System| Billing at Each Stage
जीएसटी में Self Monitoring पर विशेष जोर दिया गया है। सारे सौदों की जानकारी Online अपडेट रखनी है। हर सौदे की रसीद लेने वाले और देने वाले, दोनों के पास रहनी है। दोनों अपनी-अपनी रसीदों के माध्यम से Tax Credit पा सकेंगे। कहीं भी सौदों का मिलान न हुआ तो Online ही गडबडी पकड जानी है। सौदों में GST जमा होने की जिम्मेदारी हर स्टेज पर उपर वाले कारोबारी की होने से Tax की चेन नहीं टूट पाएगी। क्योंकि कोई भी कारोबारी अपने Tax Credit का नुकसान नहीं चाहेगा।
5. टैक्स रेट पर मनमानी नहीं | No Arbitrary Rates
पहले राज्य सरकारें अपने यहां बिकने वाले किसी भी सामान पर अपनी मनमर्जी से Tax लगा देती थीं। इसका Rate भी अपना-अपना रखती थीं। अब ऐसा नहीं हो सकेगा। GST के प्रावधानों में या रेट में किसी तरह के Changes के लिए GST Council बनाई गई है। इसके अध्यक्ष केंद्रीय वित्त मंत्री होंगे और राज्यों के वित्त मंत्री इसके सदस्य होंगे।
केंद्र के पास किसी निर्णय पर Vote देने की एक तिहाई शक्ति होगी, और दो तिहाई शक्ति राज्य सरकारों के पास होगी। हर राज्य की Voting Power बराबर होगी, चाहे वह बड़ा हो या छोटा। किसी भी फैसले को मंजूरी मिलने के लिए उसे Council के तीन चौथाई Votes की जरूरत होगी।
जीएसटी हर वर्ग के लिए फायदेमंद कैसे?
How GST is Beneficial of Every Classजीएसटी के माध्यम से टैक्स सिस्टम में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ गई है। यह एक तरफ सरकार के लिए तो है ही, कारोबारियों और उपभोक्ताओं के लिए भी फायदेमंद है।
आम उपभोक्ता के लिए| For Common People
- तरह-तरह के Tax खत्म होने और टैक्स के उपर Tax खत्म होने से वस्तुओं की लागत में Unnecessary बढोतरी नहीं। जाहिर है कि वस्तुओं के दाम भी ज्यादा नहीं बढ़ेंगे। Common People के लिए यह बेहतर स्थिति है।
- आम जरूरत की चीजों पर कम Tax लग रहा है। Common People के ज्यादा काम आने वाली चीजें सस्ते में मिल सकेंगी। जनता के बडे वर्ग को इसका Benefit मिलेगा।
- Market का ज्यादा से ज्यादा हिस्सा GST के दायरे में आ जाने से सरकार की जो Income बढेगी, उससे शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन जैसी जनसुविधाओं का Level भी सुधरेगा।
कारोबारियों के लिए| For Businessmen
- हर राज्य में Taxes का अलग अलग Structure होने से कारोबारियों के लिए उसे समझना आसान नहीं था। तरह-तरह की चुंगियां अलग से बोझ बढाती थीें। अधिकारी-कर्मचारी भी ज्यादा नियमों का गलत फायदा उठाते थे। अब Businessmen को इन झंझटों से नहीं गुजरना पडेगा। Business की Speed बढेगी और फायदे की मात्रा बढेगी।
- लघु उद्योगों और उद्यमों को केंद्र व राज्य सरकारें रियायत देती हैं, इसका Benefit उठाने के लिए बड़े उद्यम को ही कई हिस्सों में छोटा-छोटा करके रखा जाता था। अब इसकी जरूरत नहीं होगी। बड़े उद्यमों में ज्यादा सस्ता और Competitive माल बन सकेगा। International Market में टक्कर देने लायक माल बनेगा।
- सारे Document ऑनलाइन होने से दस्तावेजों को तोड-मरोडकर पेश नहीं किया जा सकेगा। किसी तरह की चूक होने पर या खो जाने पर उसे Online ही सुधारने की सुविधा होगी। Offices के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
सरकार व प्रशासन के लिए| For Government And Administration
- मौजूदा व्यवस्था में Market का बहुत बड़ा हिस्सा अंडर ग्राउंड है। Production से लेकर बिक्री तक की Chain में बहुत सी जगहों पर काम दिखाया ही नहीं जाता। उन पर Tax भी सरकार को नहीं मिल पाता। अब GST में ऐसे छूटे लोग भी Tax की इस चेन में जुड़ जाएंगे। सरकार की Income बढेगी।
- हर स्टेज पर खरीदारी और बिक्री की रसीदों का मिलान होना जरूरी होगा। तभी पहले के Stages में जमा किया गया Tax Credit का फायदा कारोबारियों को मिल सकेगा। इस चेन में चूंकि हर किसी को Bill देना और बाद में उनकी रसीद पेश करना जरूरी होगा। इसलिए Market पूरी तरह Accounted हो जाएगा और Black Market पर लगाम लगेगी।
- पहले की व्यवस्था में कोई चीज अगल-बगल के राज्यों में ही अलग-अलग Price पर मिलती थी। इसका एक दुष्परिणाम यह भी होता था कि राज्यों के सीमावर्ती जिलों से लोग उस सामान की तस्करी करने लग जाते थे। इस पर लगाम लगेगी।
- केन्द्र और राज्य सरकारों के लिए करों की संख्या कम होने से अधिकारियों और कर्मचारियों पर भार कम होगा। सारे Detail ऑनलाइन उपलब्ध होने से व्यवस्था की निगरानी बहुत आसान होगी। Recovery Cost में कमी आएगी। इस तरह यह सरकारों के लिए Tax Administration का काम बहुत आसान कर देगा।
जीएसटी ने किन टैक्सों को हटाया| Which Taxes Replaced by GST
देश में तमाम प्रकार की वस्तुओं और सेवाओं पर लगने वाले तीन दर्जन से अधिक Indirect Taxes को अब सिर्फ एक Tax, जीएसटी के अंदर शामिल कर दिया गया है। जिन टैक्सों को इसमें शामिल किया गया है, उनकी सूची हम यहां दे रहे हैं।
Central Taxes Those Replaced By GST
(केंद्र के वो टैक्स जिनकी जगह जीएसटी लेगा)State Taxes those Replaced By GST (राज्यों के वो टैक्स जिनकी जगह जीएसटी लेगा)
- केंद्रीय उत्पाद शुल्क (Central Excise Duty)
- मेडिकल और टॉयलट संबधी निर्माण पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क Duties of Excise (medical and Toilet preparations)
- विशेष महत्व की वस्तुओं पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क ( Additional Duties of Excise on Goods of special importance
- सूती वस्त्र व संबंधित उत्पादों पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क Additional Duties of Excise (Textiles and textile products)
- कस्टम ड्यूटी Duties of Customs (CVD)
- विशेष कस्टम डयूटी (Special Additional Duty of Customs-SAD)
- सर्विस टैक्स (Service Tax)
- सेस और सरचार्ज (Cesses and surcharges)
- (वैट)State VAT
- (केंद्रीय बिक्री कर) Central Sales tax
- खरीद कर(Purchase Tax)
- विलासिता कर (Luxury Tax)
- प्रवेश कर (Entry Tax) सभी प्रकार के
- मनोरंजन कर (Entertainment Tax) जो स्थानीय निकायों के अलावा लगते थे
- (विज्ञापन कर) Taxes on advertisements
- लॉटरी, सटटा और जुआं पर टैक्स (Taxes on lotteries, betting and gambling)
- उपकर और अधिभार State cesses and surcharges
तीन प्रकार से लगेगा जीएसटी|Three Types Of GST
जीएसटी के अंतर्गत केंद्र एवं राज्यों की ओर से लिए जाने वाले टैक्सों को सिर्फ तीन टैक्सों में शामिल कर लिया गया है।
- सेन्ट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स| Central Goods and Service Tax (CGST)
माल का लेन-देन अगर एक ही State के दो पक्षों के बीच हो रहा हो तो यह टैक्स (CGST) केंद्र सरकार को देना पड़ता है।
- स्टेट गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स |State Goods and Service Tax (SGST)
माल का लेन-देन अगर एक ही State के दो पक्षों के बीच हो रहा हो तो यह टैक्स (SGST) राज्य सरकार को देना पड़ता है।
- इंटिग्रेटेड गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स| Integrated Goods and Service Tax (IGST)
माल का लेन-देन अगर अलग-अलग States के दो पक्षों के बीच हो रहा हो तो यह टैक्स (IGST) केंद्र सरकार को देना पड़ता है।Note: राज्य के अंदर लेन-देन की स्थितियों में आपको हर Deal पर दो Tax देने पड़ेंगे। केंद सरकार को CGST और राज्य सरकार को SGST। दो राज्यों के बीच लेन-देन की स्थिति में सिर्फ एक टैक्स देना पड़ेगा IGST वह भी सिर्फ केंद्र सरकार को। हालांकि इस आईजीएसटी में बाद में उपभोग करने वाले राज्य को हिस्सा मिलता है।
For Example : मान लेते हैं कि एक Company ने थोक व्यापारी से कच्चा माल खरीदा। सौदे के दोनों पक्ष एक ही राज्य के अंदर स्थित हैं। कुल माल 10 लाख रुपए का है और इस पर 18 प्रतिशत GST लगता है। यह सौदा होने पर थोक व्यापारी उस कंपनी से 10 लाख की खरीद पर 18 प्रतिशत टैक्स वसूलेगा। केंद्र और राज्य दोनों के Tax Department को वह आधा-आधा यानी 90-90 हजार रुपए जमा कर देगा। इससे अलग अगर सौदा दो राज्यों के दो पक्षों के बीच हो रहा है तो सिर्फ IGST के रूप में 1 लाख 80 हजार रुपए केंद्र सरकार को देने पड़ेंगे।
जीएसटी की दर|Rate Of GST
GST Council ने अलग-अलग प्रकार की वस्तुओं के लिए जीएसटी के कुल पांच स्लैब मंजूर किए हैं। ये हैं zero, 5%, 12%, 18% and 28%.। अति आवश्यक वस्तुओं पर कम से कम Tax लगाकर और विलासी व कम Important वस्तुओं पर ज्यादा से ज्यादा Tax लगाकर जीएसटी को ज्यादा से ज्यादा न्यायपूर्ण बनाने की कोशिश की गई है। जैसे कि Air Conditioner, Refrigerator, Makeup आदि पर 28 प्रतिशत GST तय किया गया है। जबकि कच्चा माल मसलन अनाज और ताजी सब्जियों आदि पर Zero टैक्स तय किया गया है। इसी प्रकार Education और Health सुविधाओं को Tax के दायरे से बाहर रखा गया है।
जीएसटी में टैक्स कैसे दिया जाएगा
How To be paid tax In GST Systemअब ये समझते हैं कि जो टैक्स जीएटी के रूप में सरकार को देंगे, उसे सरकार आपसे वसूलेगी कैसे-
मान लेते हैं कि एक पैंट का कपड़ा है, यह उत्पादक Company (निर्माण स्थल) से चलकर Consumer तक पहुंचता है। इस बीच उसे कुछ Stages से होकर गुजरना पड़ता है। यहां हमने Concept को आसानी से समझाने के लिए सिर्फ तीन Stage लिए हैं। हकीकत में यह इससे ज्यादा या कम भी हो सकते हैं।
- सबसे पहले उत्पादक Company से माल Wholesaler के पास जाता है
- Whole Saler से फिर माल Retailer के पास जाता है
- Retailer से फिर माल Consumer यानी ग्राहक के पास पहुंचता है
जैसा कि ऊपर हमने बताया कि जीएसटी खरीदार से वसूल किया जाएगा। लेकिन इससे पहले सामान की जिन-जिन Stages पर दाम में बढोतरी यानी Value Addition हुई है (सामान के स्वरूप में बदलाव या अन्य किसी लागत के कारण) वहां-वहां पर हर बार GST वसूल किया जाना है। जो पहले वाले खरीदार ने GST अदा किया था, वो जब आगे दूसरे को माल बेचेगा तो उससे वो GST वसूल लेगा। तो अब यह स्थति होगी-
- उत्पादक Company से माल लेते वक्त Whole Saler पर जीएसटी लगेगा। लेकिन कंपनी उसे लेकर भरेगी।
- Whole Saler से माल लेते वक्त Retailer पर जीएसटी लगेगा। होलसेलर उसे सामान के मूल्य के साथ वसूल करके भरेगा।
- Retailer से माल लेते वक्त Consumer जीएसटी अदा करेगा। रिटेलर पर भरने की जिम्मेदारी होगी। final consumer पर जीएसटी भरने के जिम्मेदारी नहीं है।
टैक्स क्रेडिट कैसे मिलेगी| How To Get Tax Credit ?
यहां हम देखते हैं कि माल की खरीदारी के क्रम में GST तो सबने अदा किया। पहले Whole Saler ने, फिर Retailer ने और फिर Consumer ने। तो फिर जो पहले बताया गया कि सिर्फ Consumer जीएसटी अदा करेगा, उसका क्या Funda है? आइए समझते हैं। दरअसल Whole Saler और Retailer ने अपनी बारी में जो GST जमा किया था, उसे वो आगे चलकर Tax Credit के माध्यम से सरकार से वापस पा सकते हैं। जीएसटी का Monthly Return भरते समय वे इसे अपने उपर बन रही देनदारी में Adjust करा सकते हैं।
ये जो टैक्स के Adjust होने की प्रक्रिया है इसे ही जीएसटी में Tax Credit System नाम दिया गया है। इस Tax Credit की व्यवस्था का फायदा बीच के स्टेजों में आने वाले व्यवसायी तभी उठा पाएंगे, जबकि उनके पास उन स्टेजों पर की गई बिक्री की रसीद हों। क्योंकि जो खरीदार होगा, उसकी भी रसीदें सरकार के पास Online मौजूद होंगी और जिसने बेचा है उसकी भी। जब दोनों स्तर की रसीदों का मिलान सही होगा, तभी उन बीच वाले व्यवसायियों को Tax Credit का फायदा मिल सकेगा।
जीएसटी वसूली का उदाहरण| GST: An Example
जीएसटी वसूली की इस प्रक्रिया को और आसान से समझने के लिए उदाहरण के लिए हम Stepwise घटनाक्रम को एक Table में दिखा रहे हैं।
मान लेते हैं कि एक Pant बनाने के लिए 2 मीटर कपड़ा टेलर ने कपड़ा उत्पादक से खरीदा। कपड़े का दाम 200 रुपए प्रतिमीटर है। मान लेते हैं कि इस Product पर 10 प्रतिशत GST लगता है। कपड़े की खरीद से शुरू होकर ग्राहक के हाथों में पहुंचने तक इस पर GST कैसे लगेगा, देखते हैं।
Note: जीएसटी वसूले जो के बाद केंद्र और राज्य सरकार दोनों के हिस्से में बंटकर जाएगा। हम यहां दोनों को जोडकर कुल 10 प्रतिशत जीएसटी अपनी गणना में शामिल करेंगे। इससे Concept को समझने में भी आसानी रहेगी।
Stepwise घटनाक्रम खरीदी जा रही वस्तु का दाम(जीएसटी के पहले) जीएसटी चुकाना पड़ेगा (खरीदार को) खरीदारी के लिए चुकाई गई कुल धनराशि अंतिम रूप से (टैक्स क्रेडिट होने के बाद) सरकार के हिस्से में आया जीएसटी Step 1: हैंडलूम कारीगर से टेलर ने 200 रुपए मीटर का 2 मीटर कपड़ा खरीदा पैंट बनाने के लिए। 400 रुपए 40 रुपए( सौदे का 10 प्रतिशत) 440 रुपए 40 रुपए Step 2: टेलर ने पैंट तैयार करके अपना मेहनताना जोड़कर पैंट 700 रुपए में रिटेलर को बेच दी। 700 रुपए 70 रुपए (सौदे का 10 प्रतिशत) 770 रुपए 30 रुपए( 40 रुपए टैक्स क्रेडिट के माध्यम से टेलर को वापस मिल जाएंगे) Step 3: रिटेलर ने पैंट बेची ग्राहक को 800 रुपए में 800 रुपए 80 रुपए 880 रुपए 10 रुपए ( 70 रुपए टैक्स क्रेडिट के माध्यम से टेलर को वापस मिल जाएंगे) निष्कर्ष: Consumer यानी अंतिम ग्राहक की जेब पर 880 रुपए का बोझ पड़ा ,, ,, ,, Total: 40+30+10=80 रुपए
- इस Table में हम देखते हैं कि माल (पैंट) उत्पादक से लेकर ग्राहक तक पहुंचने की प्रक्रिया में तीन बार GST दिया गया।
- तीनों में से पहले के दोनों Stages पर दिया गया GST सरकार ने Tax Credit के माध्यम से Tailer और WholeSaler को वापस कर दिया।
- आखिरकार, जो जीएसटी की मात्रा अंतिम ग्राहक से ली गई थी, सरकार के पास उतना ही Net GST जमा बचेगा।
जीएसटी रिटर्न| GST Returns
जीएसटी सिस्टम में कारोबारियों के व्यवसाय पर नजर रखने के लिए निगरानी के तमाम स्टेप बनाए गए हैं। हर महीने की कुल बिक्री, खरीदारी और टैक्स देनदारी को लेकर विवरण सरकार के पास पहुंचेगा। ये सारे विवरण ऑनलाइन होंगे। सौदों के सही मिलान होने पर ही पहले के चरणों में जमा किया गया GST टैक्स क्रेडिट के माध्यम से वापस या Adjust हो सकेगा।
- GSTR1 : व्यवसायियों को महीने भर की बिक्री (Outward Supply) का स्टेटमेंट अगले महीने की 11 तारीख तक दाखिल करना होता है। हालांकि, 1.5 करोड रुपए से कम सालाना बिक्री वाले कारोबारियों का यह रिटर्न हर महीने नहीं भरना पडता। वे हर तिमाही में यह रिटर्न दाखिल कर सकते हैं।
- GSTR2: खुद की महीने भर की खरीदारी यानी (Inward Supply) का विवरण देने के लिए यह रिटर्न था। फिलहाल इसे स्थगित रखा गया है।
- GSTR3: समस्त खरीदारियों और बिक्रियों के विवरण के साथ-साथ चुकाए गए टैक्स का ब्योरा इसमेें देना था। फिलहाल इसे स्थगित रखा गया है।
- GSTR3B: शुरुआती वर्षों में जीएसटीआर 3 लागू नहीं हो पाया, उसके विकल्प के रूप में सरकार ने एक छोटा फॉर्म GSTR-3B जारी किया है। इस रिटर्न में मासिक खरीदारियों और बिक्रियों का विवरण और चुकाए गए टैक्स की जानकारी संक्षेप में देना होता है।सरकार ने इसे शुरुआती कुछ समय के लिए ही जारी किया है।
Note: हर महीने इन तीनों GST Forms को भरने के अलावा भी वित्तीय वर्ष पूरा हो जाने के बाद एक सालाना रिटर्न GSTR-9 अगली 31 दिसम्बर तक भरा जाता है, जिसमें साल भर के टैक्स विवरणों को दिखाया जाता है। शुरुआती वित्त वर्ष (2017-18) के लिए इसकी अंतिम तिथि में कई बार बढोतरी की गई है।
जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कैसे कराएं| How To Registere In GST?
- जीएसटी का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए आप Goods and Services Tax Network (GSTN) की ओर से शुरू किए कए GST Portal की मदद ले सकते हैं। इसके लिए www.gst.gov.in के वेब एड्रेस पर क्लिक करें
- इसमें Registration के लिए मांगी गई जानकारियों को भर दें। इसे आपके Email या SMS से कन्फर्मेंशन किया जाएगा। इसके बाद आपके पास एक Acknowledgement Number भेज दिया जाएगा।
- जैसे ही आपका आवेदन मंजूर होता है GSTIN जेनरेट करके भेज दिया जाता है। साथ में provisional Login ID and password भी जिनका प्रयोग करके आप जीएसटी पोर्टल में Log In कर सकते हैं।
किसे रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य
अगर आपकी कुल Taxable, NonTaxableऔर Exempted Income कुल मिलाकर 50 लाख रुपए सालाना से अधिक बैठती है तो GSTN में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य है। पूर्वोत्तर भारत के राज्यों के व्यापारियों के लिए Income की यह सीमा 20 लाख रुपए है। हालांकि इस सीमा को बढाने की छूट भी राज्य सरकारों के पास है।
इस लेख में हमने आपको Indirect Tax जीएसटी के बारे में बताया है। लेकिन इसके अलावा डायरेक्ट टैक्स का बोझ भी आप पर पड़ता है। जैसे थोड़ी ठीक-ठाक कमाई करने वालों को Income Tax देना पड़ता है। या फिर कोई प्रॉपर्टी बेचने पर कैपिटल गेन्स टैक्स (Capital Gains Tax) लगता है। आप को इन टैक्स के बारे में भी जानकारी रखनी चाहिए।
GOODS AND SERVICES TAX
यहा पर हम goods and services tax के बारे मे जानेगे |
GST (GOOD & SERVICE TAX)
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जीएसटी क्या है
Tuesday, April 7, 2020
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